क्या कीमत अदा करूँ
क्या कीमत अदा करूँ
ऐ हँसी मेरे चेहरे पर तू जो होती है
तो सुकून से कई अपनों के
चहरे पर महसूस होता है,
बता तुझे क्या कीमत अदा करूँ
तेरी इन मेहरबानियों की,
जो तू सदा के लिए
मेरे घर अंगना में बस जाए।
ऐ तन्हाइयों मेरी जिंदगी से
जाने की क्या कीमत अदा करूँ मैं,
जो तुम लौट कर ना आओ
कभी मेरे जीवन में,
मुझे तुमसे कोई गिला तो नहीं
लगती थी तुम बहुत प्यारी मुझको,
पर ये दर्द मुझसे ज्यादा मेरे
अपनों को दे जाती थी...
मुस्कुरा कर जीना चाहते हैं
जिंदगी के चंद पल,
तन्हाइयों के अंधेरों में नहीं
खुशी की रौशनी में,
हो सके तो तन्हाइयों मेरी जिंदगी से
दूर चली जाओ हमेशा के लिए,
तेरा ये एहसान हम
उम्र भर ना भुला पाएंगे...