क्या खता की?
क्या खता की?
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सारी दुनिया ना चाही हमने,
तेरे दिल में ही रहना चाहा,
एक आंगन चाहा,तो क्या खता की?
आसमान तो न मांगा था मैंने,
एक टुकड़ा बादल का,आंगन में उतरे मेरे,
यही चाहत जो की, तो क्या खता की?
चांद की चाहत नहीं मुझे,चांदनी में भीग जाए हम,
चाहत जो की मैंने,तो क्या खता की?
कभी चाहत की नहीं,तारों से सजे दामन की,
चाहत की थोड़ी खुशियों की,तो क्या खता की?
तुझे जो चाहा हमने,तो क्या खता की?
नाम तुम्हारा मेरे होंठों पे आया,शायद यही खता की?