क्या होता प्यार ?
क्या होता प्यार ?
बढ़ जाती तेरे आने से,
इस दिल की धड़कन बार - बार,
तू अंजान बन कर ना समझे,
कि मैँ करती हूँ तुझसे प्यार।
आँखों - आँखों में समझाया,
होठों से तुझको ललचाया,
तूने बेरुखी से कितना,
मेरे दिल को दूर भगाया।
बढ़ जाती तेरे आने से,
इस दिल की धड़कन बार - बार,
तू अंजान बन कर के कहता,
कि क्या होता है भला ये प्यार ?
जब कपड़े थोड़े और खिसकाये,
तेरे बदन पर पसीना आये,
तूने फिर हौले - हौले से,
खामोशी से किया इज़हार।
बढ़ जाती तेरे आने से,
इस दिल की धड़कन बार - बार,
तू अब हँस कर अक्सर कहता,
कुछ तो होता है ये प्यार।
जब सह न सकी तेरी रुसवाई,
तब बेशर्मी थोड़ी और दिखाई,
धीरे - धीरे बदन पर अपने,
तेरे नाम की भस्म लगाई।
बढ़ जाती तेरे आने से,
इस दिल की धड़कन बार - बार,
मेरे बदन से लिपट के अब तू,
समझ गया क्या होता प्यार।।