कविता
कविता
वैसे तो आज कल कविताओं में क्या रखा है,
जो कवि बनने में मजा है,
वो कहाँ और किसी में मजा है।
अल्फाजों को बिखेरने का जलवा ही अलग है,
उन्हें मोती की तरह चुनने का मजा ही अलग है,
वैसे तो आज कल कविताओं में क्या रखा है,
जो कविताओ में मजा है,
वो कहानियों मे कहाँ मजा है।
जो कविताओं को पढ़ने में मजा है,
वो खाने में कहाँ मजा है,
पेट भर जाता है कविताओं को पढ़कर,
दिमाग घूम जाता है कविताओ को पढ़कर।
अल्फाजों को तोड़कर जोड़ने में जो मजा हैं,
वो कहीं और किसी चीज में मजा नहीं है।।