कविता
कविता
सूरज निकला ज्ञान था हुआ अंधियारा
पड़कर करोना महामारी रोग न्यारा.
धरा पर बनी मीटर दूरी बनी जरूरी
मिलने अपना जहां धोना लोग रहना।
धरा पर दुआ भगवान से सुखी रखना
दुखी किसको करोगे जब ढोंग पड़ना।
धुले हाथों अगर रहते नहीं डरना
ध्यान रखना सही सबको होग फसना।
बड़ी चाहत रहें धरती सज्जे वरना
समय कैसे निभे जीना यहीं मरना।