कविता क्या है??
कविता क्या है??
कविता निर्झरिणी है
कभी कभी तरणी है
उज्ज्वल है शीतल है
पावन गंगाजल है
अंतर्ध्वनि अविरल है
बहती यह कल कल है
मन को सरसाती है
मां का स्वर गाती है
कविता प्रणम्य सदा
भरती गुण सर्वदा ।
कविता निर्झरिणी है
कभी कभी तरणी है
उज्ज्वल है शीतल है
पावन गंगाजल है
अंतर्ध्वनि अविरल है
बहती यह कल कल है
मन को सरसाती है
मां का स्वर गाती है
कविता प्रणम्य सदा
भरती गुण सर्वदा ।