कवच
कवच
कभी मुस्कुराहटें तो कभी आँसू
बन जाते हैं कवच
कभी शर्माना तो कभी चुप रहना
भी बन जाते हैं कवच
आवरण क्रोध का या सादगी का
नित बन जाते नए कवच
संयम सहनशीलता सहजता
को नहीं चाहिए कोई कवच
मन से जी लेने को भी नहीं चाहिए
कोई छल छद्म या प्रपंच
वीरों की है शान कवच
कायर का अपमान कवच
एक जीव है एक ही पल है
फिर भी इतने सारे रखे कवच