कुर्सी...
कुर्सी...
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शब्द दो अक्षरों से भरा,
बोलते है, पावर आवे,
मैं उपर आसमां नीचे,
ए आवारगी दिल में छाये,
तन मन में सत्ता का घमंड आवे,
मैं कुछ सब तुच्छ ये घटिया सोच
मन दिल में कब्जा कर गई,
जितना बहार निकले इतना अंदर घुसता रहूँ,
कुर्सी तेरे होते मैं खुद को महफूज समझूं,
तेरे खोने के डर ने मुझे बावरा सा कर दिया,
मेरी नींद चैन चुरा रखा है
प्यारी कुर्सी तूने ....