कुछ याद है, कुछ भूल गया
कुछ याद है, कुछ भूल गया
तेरी कभी न ख़त्म होती बातें,
कुछ याद है कुछ भूल गया,
मेरे लिए लिखी वो कविताएँ,
कुछ याद है, कुछ भूल गया।
रात में खुले आसमान तले बैठना
तारों को देख, तेरा कहानियां बुनना,
तेरी वो नादान कहानियां,
कुछ याद है, कुछ भूल गया।
वो शोर मचाती गलियाँ
वो शांत झील का किनारा, जहाँ
पनपा था वो बचपन का प्यार,
कुछ याद है, कुछ भूल गया।
टूटते तारों से की थी जो दुआएं
एक-दूजे से की गयी फरमाईशें,
हमारी वो मासूम ख्वाईशें,
कुछ याद है, कुछ भूल गया।
सावन की बरसातें, जाड़े की शामें
साथ बिताये उन् लम्हों की बातें,
पहले प्यार की, खट्टी-मीठी यादें,
कुछ याद है, कुछ भूल गया।
थाम एक-दूजे का हाथ हमने
तय किये थे जो कुछ फासले,
उन गुमनाम रास्तों की पुकार,
कुछ याद है, कुछ भूल गया।
साथ मिलकर हमने
गाये थे जो तराने,
उन गीतों के बोल,
कुछ याद है कुछ भूल गया।
तेरी कभी न ख़त्म होती बातें,
मेरे लिए लिखी वो कविताएँ
तेरी वो नादान कहानियां,
कुछ याद है कुछ भूल गया।