कुछ तो करो
कुछ तो करो
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अपनी बातों में रोशनी फूंको
कोई मर रहा है वहां जान फूंको
कितनों को और तमस नसीब हो
बुझते मशाल में ज़रा आग फूंको
जो देखकर अनदेखी कर रहा
उसकी आंखों से आसमान फूंको
उनलोगों सा तुम भी काबिल हो
बस मन में बैठा गुलाम फूंको
जब सूरज तेरा है, कोई क्या करेगा
बस 'मयंक' में लगे वह दाग फूंको