कुछ कुछ
कुछ कुछ
फिर घटाएँ घिर रहीं बरसात में कुछ कुछ। चाँदनी करती उजाला रात में कुछ कुछ॥
जिंदगी जब जब धरा पर अवतरित होती।गुनगुनाता प्रेम फिर जज्बात में कुछ कुछ॥
प्रेम के प्याले लड़े जब साथ में फिर से। भावनाएं गुदगुदातीं गात में कुछ कुछ॥
हमसफ़र का साथ होता जिंदगी में जब। प्रेम की खुशबू उड़े सौगात में कुछ कुछ॥
जग अधूरा सा लगे हमराह के बिन तो। मौन सी बेचैनियां हर बात में कुछ कुछ॥
हार हो या जीत हो या हो घड़ी कोई। प्रेम से दृढ़ता जगे हालात में कुछ कुछ॥
प्रेम मधुवन प्रेम सावन प्रेम है जीवन। प्रेममय लहरें उठें अज्ञात में कुछ कुछ॥