कुछ क्षणिकाएं -
कुछ क्षणिकाएं -
गंगा के घाट पर
होता है सौदा
मौत का !
बिकते हैं कफ़न !
तेरी मौत पर
सब रो रहे थे
कोई मगर -
रो नहीं रहा था !
हाथ भी थे
पाँव भी थे
जब चले तो
केवल पेट था !
ज़ुबां तेरे भी है
ज़ुबां मेरे भी है
फिर भी हम दोनों में
एक बुनियादी फर्क है
तुम चिल्लाते हो
हम चुप रहते हैं !
मेरी मौत पे
मातम के नाम पर
अक्सर मनाया है
मौत का जश्न तुमने !