कुछ कमी सी है !
कुछ कमी सी है !
उससे मिलने के बाद मुझे
अब यकीं सा होने लगा है
कि कोई ना कोई कमी तो है
मुझमे तभी तो आज भी जब
मैं उससे मिलता हूँ,
तब भी वो कुछ उदास और
कहीं खोई-खोई सी ही नज़र
आती है,
जो अक्सर कहते नहीं थकती
की जब तुम नहीं होते साथ मेरे
तो तुझे मैं हर एक शै: में
ढूंढती हूँ।
पहरों सोचती हूँ मैं तुम्हारे बारे
तुमसे मिलने की मैं आस
लगाती हूँ,
पर जब मैं उसके साथ होता हूँ
तो वो कुछ उदास और खोई-खोई
सी किन्तु नज़र आती है !