क्षणिकाएं
क्षणिकाएं
मुश्किलें आती हैं कुछ सिखाने को
तुझमें कितनी कुव्वत ये दिखाने को
आसान सफर नहीं ये जिन्दगी यारों
पढ़ना बहुत है थोड़ा सा लिखाने को ।।
रौनकें महफ़िलों में यूँ ही नहीं आती
एक उम्र बितायी है खुद को बनाने में
तुम क्या समझो सलाहियत का वजन
खुद गुम हो जो रोज किसी बहाने में ।।
बात गहरी है तो अंदर तो उतरना होगा
अपने डर को अब जिद से कुतरना होगा
आसान नहीं है राहे मंजिल ऐ दोस्त मेरे
आग का दरिया है हर बार तरना होगा।।
दोस्ती न तो बंधन है न रिश्तेदारी है
ये वो दुआ है जो जिंदगी से प्यारी है
वफा बेवफ़ाई फलसफे मोहब्बत के
दोस्ती तो बस ये कायनात सारी है ।।