कश्मकश
कश्मकश
गलतफहमी और ये कश्मकश
राह गुजर गयी वो चल रहे बेगाने से
मीलके न मील के उन्ही तस्विरों से
रोक लेती है आहे भी रास्ते बनके
पल गुजर गया वो भुलके हर जख्म वो
कर नाकाम कोशिशे तू फिरसे जीने की
गलतफैमी और ये कश्मकश भरी जिंदगी
किसकिसकी समझ को सही करे हम
सब्र रख ये दिल ....
तेरी जिंदगी कुछ खास तो नहीं है
हर वो बात जो जुडी है तुझसे ही
खामोश से सह लेती है उन तमाम सवाल क्यो
नही होते अगर बवाल शायद जी लेते हम भी
हसने पे ना लगते पहरे यूँ
ना होती पाबंदी या जिन पर
खुशी की एक लहर की राह ना देखते ये नैन
गलती से भी ना पाल वो वहम ये दिल
जिससे बर्बाद यूँ किसी का आशिया हो।