करवा चौथ
करवा चौथ
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हाँथों की मेहँदी, आँखों का काजल ख़ुश हैं आज
कँगन, चूड़ी, लहठी, बिंदी, बाजन ख़ुश हैं आज
माथें पे टीका और सिंदूर, बाजूबंद, गले में हार
हाथों की हथशंकर, पैजनी, पायल ख़ुश है आज
करकें सोलह नवयुवती सी नवयौवन श्रृंगार
हृदय के उसके अंक में उमड़ा सात सगर का प्यार
होठों से गीतों की गुंजन सुन रहा बासंतिक वैभव
मुख पर हैं मलाहत तारी, हैं नयनों में इंतजार
ले हाथ में पूजा की थाली छत पर अपनें आ गई
मन में अपनें मीत का सब प्रीत लेकर आ गई
चाँद की उजली किरण में अमर हो बंधन तेरा
यह चाँद के सँग चाँदनी कह रहीं हैंआज ।।