कर्तव्य
कर्तव्य
जिस धरती पर आकर तुमने,
एक नाम जो अपना पाया है ।
उस धरती केे प्रति क्या कर्तव्य तुुुम्हारा हैै,
यह तुमने कभी विचारा है?
जिस मिट्टी में खेला और खड़ा हुुुआ,
जिसका अन्न खाकर बड़ा हुुुआ।
उस मिट्टी के प्रति क्या कर्तव्य तुम्हारा हैै,
यह तुमनें कभी बिचारा है?
जिस गुुरू ने तेरा हाथ पकड़कर,
तेरे जीवन का लक्ष्य बनाया है।
उस गुुरू के प्रति क्या फर्ज तुम्हारा है,
यह तुमने कभी बिचारा है?
एक माँ ने तेरी सेवा मेें,
जीवन अर्पण कर डाला।
उस मां के प्रति क्या कर्तव्य तुम्हारा है,
यह तुमने कभी बिचारा है?
पिता ने तेरे सुख की खातिर,
अपने तन का तर्पण कर डाला।
उस पिता के प्रति क्या कर्तव्य तुम्हारा है,
यह तुमने कभी बिचारा है?