कृष्ण गाथा
कृष्ण गाथा
एक अलग पहचान हुआ
जब उत्पन्न प्रतिकार हुआ
तब मानव अवतार हुआ
दोष, छल, पापों से जब
हीनता का शुरुआत हुआ।
रग रग में बसी गद्दारी
अनेक रंगों का तिरस्कार हुआ
अनेकों रूप ले धरा पर आए
पापों का सर्वनाश किए
जन जन का कल्याण किए
बंशी बजा कर रास रचाकर
दुखों का संहार किया।
जब जब अवतार लिया
जन जन का उद्धार किया
कहलाता है रास रचैयां
कहलाता है कृष्णा कन्हैया
राधा के है प्राण प्रिये
कान्हा कहें यशोदा मैया
सबके प्राण में बसता है।
वृंदावन का नन्द लाला है
मनमोहन, गोपी ग्वाला है
माँ यशोदा, नन्द का लाला है
फन पर बैठ बसुरी की धुन
कालिया का संहार किया।
कष्ट हरण, मंगल करण को
कृष्णा धरा पर जन्म लिया
कृष्णा रूप में जन्म हुआ
प्रतिकारों का नाश हुआ
एक नया आयाम दिया।।