करना ही है
करना ही है
चिड़ियाँ चहचहाती हैं,
मंद बयार बह रही है,
वर्षा में डाल झूम रही हैं,
मुझे कुछ भान नहीं है।
मैं हूँ और मेरी किताबें हैं,
मैं हूँ कि पढ़कर ही दम लूंगी,
चिड़ियाँ है कि चहचहाती ही रहेंगी
और तरु डाल झूमती ही रहेंगी।
कोई भी ध्यान डिगा न सकेगा,
मुझे अपनी ओर बुला न सकेगा,
सब कुछ सुन्दर भव्य दिखेगा,
पर संकल्प झुका न सकेगा।