कर्म सफलता का मूल मंत्र
कर्म सफलता का मूल मंत्र
छूना है अगर आसमान और सूरज सा चमकना है,
तो भाग्य के भरोसे ना बैठ भाग्य धोखा भी देता है,
जीवन का होता एक उद्देश्य कर्म सभी को करना है,
कर्म सफलता का मूल मंत्र कर्म से भाग्य बदलता है,
विश्वास की एक प्रबल ज्वाला जला तू खुद के अंदर,
यही स्व-विश्वास जीवन का लक्ष्य निर्धारित करता है,
केवल भाग्य की लकीरें पढ़ने में वक्त न कर तू बर्बाद,
भाग्य भटकाता सदा लक्ष्य से यह बात रखना तू याद,
हौसला रख खुद पर और मेहनत का एक जुनून जगा,
उम्मीद की कश्ती न डूबने दे तू अपने कदम आगे बढ़ा,
मुड़कर न देख पीछे तूफानों से लड़ने को हो जा तैयार,
तभी उम्मीद की कश्ती को मिलेगी हौसले की पतवार,
भाग्य की लकीरों को नहीं मेहनत को बना तू हथियार,
लक्ष्य की ओर बढ़ता जा गिराकर मुश्किलों की दीवार,
भर दे तू भाग्य की लकीरों में मेहनत का कुछ ऐसा रंग,
कि तेरे इस जुनून को देखकर दुनिया भी रह जाए दंग,
तेरा यही जुनून तुझे एक दिन सफलता तक पहुंचाएगा,
छूएगा तू बुलंदियों को भाग्य भी आफताब बन चमकेगा।