कर्ज
कर्ज
जो कभी कर्ज लिया है तुमसे ,इस जन्म चुकाने मैं आया हूं
तुम्हारी हंसी बन के , खुद को रुलाने मैं आया हूं
सब कुछ झेल जायेगा ये दिल , भरोसा रखो मुझ पर
खुद को गिरा कर भी ,तुमको उठाने मैं आया हूं!
खुद को भूल चूका हूं मैं, अब तुम ही तुम दिखते हो
दर्द कितना भी दो,पर नजरों मै तुम ही तुम टिकते हो
दर्द का नाता है दिल से ,और दिल का आंसुओं से ,इसी लिये यूंही नहीं बहते
चोट एक बार तो दो दिल को,ये आंसु आंखों में नहीं रहते !