कर नारी का सम्मान
कर नारी का सम्मान
घोर अंधेरा छाया था,
मन मेरा कुछ घबराया था,
सुनी सड़कें सुना जहां था ,
कोई ख़बर लेने न कोई वहा था।
मन में मचा हुआ कोहराम,
औरत हूं कुछ सहमी सी,
कोई न मिल जाएं शैतानी फितरत सी,
डग मग डग मग सहमी सी ।
नज़र चुराए चुप चुप सी,
तभी आवाज एक अजनबी सी,
तेज़ धड़कने तेज़ कदम,
भागते हुए बढ़ते कदम ।
तभी आई एक आवाज ,
क्या करूं मैं आपकी कोई मदद,
ये सुन मै ठिठक गई,
कुछ पल के लिए झिझक गई।
पलट कर देखा उसे,
मुझे ना समझना शैतानी ,
अवतार मैं वह नर जो करता हूं नारी का सम्मान,
डर मत रख हौसला ।
मेरे रहते तुझे कोई छू ना पाएगा,
रिक्शे में बैठकर वह पीछे पीछे घर तक आया ,
जियो सकून से तुम ,
क्योंकि अब तेरा भाई आया।।