कर कमाल
कर कमाल
कुछ भी कर
मगर कर कमाल
पूरी धरा जानती है
तू है प्रकृति का वरदान
चंदा भी नित्य आता है
अंबर भी नित्य आता है
अपने समय सब पर
कौशल दिखा जाता है !
तू मानुष तन है,
प्रकृति का तू समर्पण है,
जानता हूं मैं
तू इस धरा का दर्पण है !
कुछ भी कर
मगर, कर कमाल
तुझ पर है,
दुनिया को मलाल।