कोरोना की कैद से रिहा बच्चे
कोरोना की कैद से रिहा बच्चे
कोरोना की कैद से,
बच्चेें रिहा हो गए।
फिर साँस लेेेने को,
तैयार हो गए।
अरसों से सूूनी गलियाँँ,
फिर से भर गई।
स्कूल की खिडक़ी,
फिर से खुल गयीं।
सब कुछ वही था,
क्या बदला था।
अध्यापक वही थे,
बच्चे वही थे।
पर सबके व्यवहार ,
और
ढ़ग अपने-अपने थे।
मुँह पर मास्क था,
दूरियाँ थी।
बोलने की भी,
मजबूरियां थी।
न कोई मार्निगं थी,
न कोई आवाज थी।
जैसे बदलते वक्त की,
यही पहचान थी।