कॉलेज के दिन
कॉलेज के दिन
कॉलेज के वो दिन ,लौट के ना आएंगे।
फिर से जैसे दोस्त, ना कभी मिल पाएंगे।
कैंटीन कि वह चाय, क्लास के लिए
हम कभी समय पर ना पहुँच पाए।
यारो, चाहे कितने दूर चले जाओ,
पर साथ रहेंगे यादों के साये।
एक साथ कैंटीन में बैठक,
लोगों को उतारना।
ग़लती सबकी होती थी पर,
किसी एक पर बिल फाड़ना।
जन्मदिन के केक का,
जो होता था बुरा हाल।
कॉलेज में सब ग़रीब होते थे,
पैसों का रहता था काल।
बेचारे हॉस्टल वालों के,
अलग होते थे रोने।
ना अच्छा खाना और,
कपड़े भी थे धोने।
हर हँसी और ग़म में,
हम एक दूजे के साथ खड़े थे।
हर मुसीबत में यह कदम,
साथ में आगे बढ़े थे।
एक छोटा सा परिवार,
बन गया था हमारा।
दोस्त ही होते थे,
एक दूजे का सहारा।
कॉलेज के वो दिन,
लौट के ना आएंगे।
फिर से वैसे दोस्त,
ना कभी मिल पाएंगे।।