कोख
कोख
औरत को उस खुदा ने क्या करिश्मा बख्शा है
दुनिया का हर इंसान इसी कोख से जन्मा है
औरत की कोख कभी ना करती कोई भेदभाव
पोषित करती उस जीव को रख के ममता का भाव
इस कोख से निकले ना जाने कितने महान लोग
औरत इस सृष्टि की कर्ता है कैसे भूल जाते लोग
छांव मिले माँ की कोख के अंदर
बाहर मिले माँ के आँचल में
घायल ना करो कभी किसी कोख को
सोचो यह सृष्टि रुक जाएगी
अगर औरत ना होगी इस संसार में
बेचो ना कोख उसकी, ना पतन उसका होने पाए
पूजते देवी की मूरत, औरत में भी उस मां को देखा जाए ।।