कंजूस की शादी पत्नी का जवाब सेर पर सवा सेर
कंजूस की शादी पत्नी का जवाब सेर पर सवा सेर
कंजूस की शादी
एक समय की बात है,
एक लहरी लाला हुआ करता था।
उसूलों का बड़ा पक्का—
चमड़ी जाए, पर दमड़ी ना जाए यही कहता था।
भूखा रह जाता, पर पैसे देकर खाना न खाता,
और दूसरों की थाली में झाँक-झाँककर
मुफ़्त का कौर उठा लाता।
कंजूसी उसके रग-रग में बसी थी,
ईश्वर भी सोचें— “इसमें दया डालूँ या नोट?”
उसी में शादी की आफ़त आई,
सबने कहा— “लाला, अब घर बसा ले, और क्या सोच!”
पर लाला! खर्चे का नाम सुनते ही काँप गया,
मानो कोई बम फूट गया हो।
फिर बोला— “ठीक है शादी करेंगे,
पर पैसे? बचेंगे— यही असली सौदा होगा!”
कार्ड?
ना बाबा ना!
व्हाट्सऐप पर एक छोटा न्योता भेजा—
“सादर आमंत्रण है,
मेरी शादी में अवश्य पधारें।
जीम-झूट कर घर से आना,
चाय-पानी अपने संग ले आना।
शगुन का लिफाफा भूल न जाना,
भर-भर आशीर्वाद दे जाना,
वापस घर जाकर ही खाना!”
लोग दंग रह गए—
“ये शादी है या सरकारी आदेश?”
पर जिज्ञासा भारी पड़ी,
सब सोचे— “चलो देखें, मामला क्या है!”
शादी का दिन आया—
ना बैंड, ना बाजा, ना टेंट,
बारात पैदल निकली,
लाला बोला— “सेहत भी सुधरेगी और पेट्रोल भी बचेगा, वैल्यू-एडेड बारात है!”
दुल्हन ने पूछा— “फूल-माला?”
लाला हँसकर बोला—
“अरे पड़ोस की बेल है, तोड़ लो वही से!
फालतू पैसे फूल पर क्यों उड़ाना?”
खाने की बारी आई,
तो लाला ने याद दिलाया—
“अरे, पहले ही बोला था— घर जाकर खाना!
फिर भी मन हो तो यहाँ खिचड़ी-पापड़ खा लो,
इसे ही मिठाई समझकर मुस्कराओ!”
पास ही एक थाल रखा—
“शगुन यहाँ रख दें, और आशीर्वाद भी साथ छोड़ दें।
बहुत देर मत रुकिए, दुल्हन थक जाएगी—
आप भी घर जाकर आराम कीजिए।”
मेहमान फुसफुसाए—
“वाह री शादी!
हींग लगे न फ़िटकरी और रंग भी चोखा आए!
बीवी लाकर खिलाएगा क्या?
ये तो नमक भी तौल-तौल कर देगा भाई!”
फोटोग्राफर आया,
लाला बोला—
“एक ग्रुप फोटो ले लो,
बाकी यादें दिमाग में सेव हैं।
फालतू फोटो में मेमोरी क्यों भरनी?”
फेरे पूरे हुए, दुल्हन विदा हुई,
लोग मुस्कुराते हुए चले गए।
और लाला छाती चौड़ी कर बोला—
“शादी भी हो गई, और बचत भी हो गई!
अब खुश रहना… और मुझसे खर्चा मत कराना कभी!” 😄💐
ठीक है 😄
कंजूस लाला इतनी जल्दी नहीं मानेगा…
तो दुल्हन भी मारवाड़न स्टाइल में बिल्कुल देसी ट्वीस्ट डालेगी 👇 दुल्हन भी कौन सी कम है उसने भी अपनी समझदारी दिखाई और अपने कंजूस पति को रास्ते पर ले आई चलिए सुनते हैं क्या हुआ।
समझदारी वाली मारवाड़ी दुल्हन
शादी के बाद दुल्हन बोली–
“सुनो लाला, तुम कंजूस हो, मान लिया…
पर अब तुम्हारी आधी संपत्ति मेरी भी है—
तो खर्चा आधा मेरा भी चलेगा!” 😏
लाला चौंक गया— “कैसे? क्यों?”
दुल्हन ने मुस्कुरा कर पोटली निकाली—
अपनी जमा पूँजी की!
कहती है—
> “तुम बचत में उस्ताद हो,
और मैं भी कम नहीं—
चलो टकराते नहीं,
साथ-साथ बचाते भी हैं और जीते भी हैं।”
फिर बोली—
> “हम दोनो का कॉन्ट्रैक्ट:
एक दिन तुम्हारी सेविंग,
एक दिन मेरी लिविंग! 😎”
लाला अवाक रह गया…
क्योंकि दुल्हन ने अगले ही दिन,
मिठाई, फल और अच्छे बर्तन खरीद लाए!
और बोली—
“देखो, खर्चा नहीं,
इन्वेस्टमेंट है—
खुशी में, घर में, रिश्ते में!”
लाला धीरे-धीरे मान गया,
और बोला—
“ठीक है, बचत भी होगी, दावत भी होगी!”
लोग कहने लगे—
“कंजूस को काबू करने का राज़—
प्यार में प्लानिंग, ताने नहीं!” 😄
और अंत में दुल्हन का डायलॉग:
> “कंजूसी अच्छी है,
पर दिल के पैसे मत बचाना जी…
वरना ब्याज लगाकर
मैं भी भाव बढ़ा दूँगी!” 😉🔥
कंजूस बेचारा क्या करता पत्नी ऐसी मिली कि उसको लाइन पर ले आई और धीरे-धीरे कर उसकी कंजूसी को दूर भगाई।😃
स्वरचित
