कलम और खयालों मे
कलम और खयालों मे
आज कल तो बहुत आती हो
तुम मेरे कलम और खयालों में
ऐसी बात फैली है शहर वालों में
क्या जादू है तेरी अदाओं में
हम तो अब खो गये सवालों में
तेरे चाँद से मुखड़े ने नींद उड़ायी है
और तुम हँसती रहती हो गालों में
आसमान के तारों पर लिखना
छोड़ दिया हैं मैंने
अब मेरी कलम खो गयी हैं
दिन के उजालों में
आजकल मोहब्बत के नशे में हूँ
आँसू पी रहा हूँ शराब के प्यालों में
कलम डूब गयी थी तेरे खयालों में
इश्क को बाँट दिया दो निवालों मे