कल कर लेंगे चिंता जीवन की
कल कर लेंगे चिंता जीवन की
कल कर लेंगे चिंता जीवन की
आज लिखने दो कविता जीवन की
दौड़ो पर्वत पर कि तेज़ हो सांसें
और टूटे शीतलित जड़ता जीवन की !
दुःख शोक के जीवन चित्रों में
नई-सी मुस्कान भरने दो
स्वप्न पक्षियों ने खोले है पंख
उन्हें नई उड़ाने भरने दो !
तोड़ के सारे गुप्त तहखाने
आने दो बाहर निजता जीवन की
कल कर लेंगे चिंता जीवन की
आज लिख लेने दो कविता जीवन की !
अतीत सरोवर सड़ा जलाशय
अभी का क्षण अमृत की बून्द है
जिसको हम सब कहते है भविष्य
वह कल्पनाओं की गहरी धुंध है !
हम कस्तूरी मृग की भांति, नहीं जानते
हम ही है सुवासित सत्ता जीवन की
कल कर लेंगे चिंता जीवन की
आज लिख लेने दो, कविता जीवन की !