किताबों की दुनिया
किताबों की दुनिया
ये किताबों की दुनिया शांत सी
निश्छल सी
निःस्वार्थ सी
सीखा जाती है बहुत कुछ
मौन रहकर
जो है जीने के लिए जरूरी।
इन किताबों की दुनिया में
यही सच्ची साथी
यही सहारा
यही उत्साह का रंग
इनसे ही बाँटे हम सारे दर्द संग,
अकेलेपन के शोर पर पड़ी भारी,
इनसे मिलकर पूरी हो जाये दुनिया सारी।
ये किताबों की दुनिया
जहाँ दिखे गँवई ठाट
शहरी चमक दमक
इनके साथ ही बरसात का सुहाना नजारा,
बसंत की बहार
गर्मी की अकुलाहट
ठंड की थर्राहट।
इन किताबों की दुनिया में ही
प्यार और रोमांच।
नफरत और भय
मिलन और जुदाई
खुशी और गम।
अंततः ये किताबों की दुनिया
अपने आप मे पूर्ण
इनमें ही है सारा जीवन