किस्सा
किस्सा
मेरे हिस्से के हर किस्से में,
उसका किस्सा बनता है।
बस यूं ही तो रिश्ता
संवरता रहता है।
उसकी कमी की नमी से,
मेरा हौंसला टूटता है।
मेरा वजूद ही मानो,
मुझसे पीछे छूटता है।
मेरे हिस्से के हर किस्से में,
उसका किस्सा बनता है।
बस यूं ही तो रिश्ता
संवरता रहता है।
उसकी कमी की नमी से,
मेरा हौंसला टूटता है।
मेरा वजूद ही मानो,
मुझसे पीछे छूटता है।