किस्मत के हाथों
किस्मत के हाथों
दिल से खुलेआम प्यार करने वाले
कभी कभी अजनबी बन जाते हैं
और ना जाने कितने रिश्ते बनकर
आए दिन ही टूट जाते हैं
कहीं कोई प्यार का दावा करता है
कहीं कोई प्यार का दिखावा करता है
पर वक्त के साथ साथ सब रिश्ते
आधे मोड़ पर ही छूट जाते हैं
कल जो कहते थे रह नहीं सकते
वो आज नई दुनिया सजाने लगते हैं
जो एक पल भी दूर नहीं रह सकते
वो लोग ही अचानक रूठ जाते हैं
आखिर क्या हो जाता है
इन लोगों को वक्त के साथ
और फिर क्यों नही थाम पाते हैं
हमेशा के लिए एक दूजे का हाथ
कभी कुछ लोग प्यार ना करने के लिए
शायद खुद ब खुद दूर चले जाते हैं
तो कभी कुछ ना चाहकर भी
सिर्फ किस्मत के हाथों लूट जाते हैं।