किसलिए
किसलिए
ये दुर्व्यवहार किसी से भला किसलिए
अपनों में जीतना-हराना भला किसलिए..
दो पलो की जिंदगी है ये हँसकर जियो
साजिशें करके सताना भला किसलिए..
अपनी सोच रखें सदा उच्चतम ही सभी
ईर्ष्या-द्वेष से गिराना भला किसलिए..
मुस्कुराहटें दे सभी को कोशिशें ये करें
दिल दुखा के रुलाना भला किसलिए..
कुछ तो अपना नहीं है यहाँ 'आईना'
ग़ैर-ज़र* पे हक़ जताना भला किसलिए।