किसान
किसान
पृथ्वी पर पलते मानव का
पशु वृक्ष और दानव का
पालनहार भगवान है
वो ईश्वर एक किसान है।
वो अपना रक्त निचोड़ रहा
संघर्ष में निज जी तोड़ रहा
वो परिश्रमी एक इंसान है
हाँँ साहब वो एक किसान है।
भूखे- बिसरों के दाने की
प्रताड़ना सहे जमाने की
ना इसका अधिक मान- सम्मान है
बस इसलिए साहब,
क्योंकि वो एक किसान है।
श्रम-साध्य जीवन का फरिश्ता
गरिमा और प्रेम का रिश्ता
निभाने वाला देश की शान है
हाँँ साहब वो एक किसान है।
अन्याय पृष्ठ की चालों से
बंजर धरती के भालों से
भिड़ने वाला एक तूफान है
क्योंकि साहब वो एक किसान है।
धरती माँ के है पुत्र सभी
रज की ताकत से आज अभी
करने वाले भीषण संग्राम है
क्योंकि साहब, वो एक किसान है।