किसान लाइन में सबसे पीछे
किसान लाइन में सबसे पीछे
मौसम परिवर्तन के कारण
बेमौसम बरसात तो
कभी अत्यधिक ओलावृष्टि
कहीं गर्मी तो
कहीं सूखे की मार
इन सबके चलते
अपने देश का किसान हो गया है
अत्यधिक परेशान
हमारा देश भारत एक कृषि प्रधान देश है
इसकी जनता का एक बड़ा प्रतिशत
गरीब, अनपढ़ और कम पढ़ा लिखा है
दो जून की रोटी के लिए
अपना पेट पालने के लिए
लोग खेती बाड़ी पर निर्भर हैं
किसानों को पर सरकार की तरफ से
पर्याप्त सुविधाएं और सहयोग न
मिलने के कारण
इनकी स्थिति बहुत गंभीर है
दयनीय है
खराब है
देखा जाये तो
हम सभी को शर्मसार कर देने वाली है
भारत का किसान एक गरीब व्यक्ति है
वह मेहनतकश है
उनकी मेहनत रंग भी लाती है
फसलें और उनकी पैदावार अच्छी होती है लेकिन
उनका उत्पाद अनाज मंडी तक
सही प्रकार से पहुंच ही नहीं पाता
उनको उनके अनाज का सही दाम
बाजार से मिल नहीं पाता
सरकारी खरीद पर्याप्त नहीं है
बिचौलियों का बोलबाला है
वह मुनाफा कमा रहे हैं
सरकार फायदे में है लेकिन
जो सही मायने में इन सब का
हकदार है यानी
किसान
वह इन सबकी लाइन में
सबसे पीछे खड़ा है
आत्महत्या कर रहा है
दम तोड़ रहा है
अपना बहुमूल्य जीवन
कर्जों के बोझ से तंग आकर या
ऐसी ही अन्य आर्थिक समस्याओं के कारण गवा रहा है
किसान जगह जगह
देश के कोने कोने में धरने पर
बैठे हैं
अपनी मांगो को लेकर अपनी आवाज
बुलंद कर रहे हैं
वह चाहते हैं कि सरकार उनसे
बातचीत करके उनकी समस्याओं का
समाधान करे
वह प्रयास चाहे कहीं भी करते हों पर
अंत में विफल ही होते हैं
वह शारीरिक रूप से दुर्बल हो रहे हैं
मानसिक रूप से प्रताड़ित
उनकी आत्मा को भी कुचला जा
रहा है
वह सब एकजुट हैं और
अपनी मांगो को बार बार
चिल्ला चिल्ला कर सबके समक्ष रख
रहे हैं
देखें कब तक उन्हें नजरंदाज
किया जाता है
एक कोई सुनहरा दिन
वह जल्द ही आयेगा
जब उनकी खुशियों का सूरज
उनके खेतों की सुनहरी फसलों पर
गर्व से सीना तानकर लहरायेगा
और भारत का मेहनतकश
किसान एक गरीब किसान न
कहलाकर
एक सुखी सम्पन्न, प्रसन्न और
धनी किसान कहलायेगा।
