ख्ववाहिशें
ख्ववाहिशें
दिन का पता नहीं होता
रात की खबर तक नहीं होती,
डुबता सूरज और खिलता चाँद
अनगिनत सपनों कि तरह
इन आँखों में टिमटीमाते हैं,
हम तो आँखों में हज़ारों सपनें लिए
हर रोज़ जागतें हैं ...
इस दुनिया कि हकिकत से तो हम अंजान नहीं,
माना सपनों कि दुनिया का यहाँ कोई पहचान नहीं,
मगर हम भी ख्वाहिशों को सच करने में यकिन रखतें हैं ,
हम तो आँखों में हज़ारों सपनें लिए हर रोज़ जागतें हैं.....
हर रोज़ जो सपना निंदों में अधूरा रह जाता हैं,
आखिर यही तो अधूरे सपने को हकिकत में
पुरा करने कि याद दिलाता हैं,
आँखें खुलते ही हम तो सपनों कि ओर कदम बढा़तें हैं,
हम तो आखों में हज़ारों सपनें लिए हर रोज़ जागतें हैं......