ख्वाहिशें
ख्वाहिशें
फूल - कांटो से भरी
ज़िन्दगी
बाग बगीचों सी
है लगती
तितलियों की तरह
ख्वाहिशें यहां वहां
रहती उड़ती।
किसी तितली
के पंख सुंदर
किसी तितली के
रंग प्यारे
कोई तितली स्वंय
आये
किसी को
मेरा मन पुकारे।
कोई तितली पूर्ण विकसित
कोई स्वयं में रंग भरती
तितलियों सी ख्वाहिशें
ज़िन्दगी के बाग़ में
रहती उड़ती।
जो तितली हाथ
आ जाती
वह फिर इतना
नही लुभाती
दूसरे ही पल
एक नन्ही सी
तितली
नज़र आती।
इतनी जल्दी इतना
व्यापक रूप ले लेती
जैसे इसके बिना
माली के
बाग़ उजड़ जाएंगे
फूलो में रस न
बचेगा
पत्ते बिखर जाएंगे।
वो तितली हो
के बेपरवाह रहती
आंखों के सामने लड़ती
बाग़ बगीचे सी ज़िन्दगी
में, हज़ारों
तितलियों सी ख्वाहिशें
उड़ती।
माली से कह दो
अगर बाग़
को बचाना है
तो मेहनत और
वक़्त लगाना होगा
तितलियाँ आती
जाती रहेंगी।
इनसे ध्यान हटाना
होगा
इतने फूल उगाओ
बाग़ में
तितलियाँ भी
थक कर बैठ जाएं।
रुक कर
तुमसे बात करें
नज़र से नज़र मिलाएं
देख कर तुम्हारी
उनसे बेपरवाही
फिर से लौट
जाएंगी मुड़ती।
बाग़ रहेगा
जब तक बाकी
मगर
ये यूँ ही रहेंगी
उड़ती।