ख़्वाहिश
ख़्वाहिश
माना, मेरा दिल तोड़कर
आसमान पा लिया होगा
मगर, मुझे भी तो चाँद को
पाने की ख़्वाहिश थी
माना, मेरा दिल...
अभी तो मैं एक प्रेम का
नवल कुसुम ही था
मगर, मुझे भी तो खिलने
की ख़्वाहिश थी
मेरे पास वक़्त की कोई
कमी न थी
मगर, मुझे भी तो इन पलों में
जीने की ख्वाहिश थी
माना, मेरा दिल...
तुझे मैंने सौंप दी अपने
दिल की सारी वसीयत
मगर, मुझे भी तो तेरी दुनिया में
रहने की ख़्वाहिश थी
मेरे अश्कों से मोतियों सा
एक महल सज गया
मगर, मुझे भी तो तेरे दिल में
बसने की ख़्वाहिश थी
माना, मेरा दिल...
रोज-रोज तेरी मैं अक्सर
बातें करता रहता हूँ
मगर, मुझे भी तो तेरे
लफ्जों को सुनने की
ख़्वाहिश थी
ख्वाबों में अक्सर आगोश
भर तुझे चूम लेता हूँ
मगर, मुझे भी तो तेरे
आगोश की ख़्वाहिश थी
माना, मेरा दिल...
टूट कर सनम तुझे चाहता था,
चाहता हूँ ,चाहता रहूँगा
मगर, मुझे भी तो तेरे
बेइंतहा प्यार की ख़्वाहिश थी
ख्वाहिशों में ही लग
रहा "हेमू" बिक सा गया हूँ
मगर, मुझे भी तो अपने नाम के
इश्तिहार की ख़्वाहिश थी
माना, मेरा दिल...