खुशियां लौट आई
खुशियां लौट आई
माँ ! मैं अब और नहीं रह सकती उस घर में, कोई इज्जत ही नहीं, वरुण भी सिर्फ काम, काम ।
क्या कहती लता, कहाँ वो बेटी दामाद के पहली दिवाली की तैयारी की सोच रही थी.. अब वरुण से पूछ भी नहीं सकती आस्था ने मना जो किया है।
बेमन से दिवाली की तैयारी पूरी की, शाम को दरवाजे पर वरुण खड़ा था "मम्मी ! हमे माफ़ कर दीजिए, हम बच्चे ही तो है.. मेरी गलती थी, मैं आस्था को समय नहीं दे पाया, क्या मैं अपने घर की लक्ष्मी ले जा सकता हूं ?
भला और क्या चाहिए था, रिश्तों में गलती होते रहती है, पर आगे बढ़ कर उसमे सुधार लाने का स्वागत करना चाहिए।
बस वो दिवाली की रात फिर से खुशियों वाली रात बन गई।