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Satish Chandra Pandey

Abstract

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Satish Chandra Pandey

Abstract

खुशबू यहाँ तक आ रही है

खुशबू यहाँ तक आ रही है

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आपकी नेह भरी सोच की

खुशबू यहाँ तक आ रही है,

यह पवन दे मंद झोंका,

मन ही मन मुस्का रही है।

बात पूछो तो न बोली

बस इशारा कर रही है।

लग रहा है आपकी की ही

भाँति यह शरमा रही है।

अबके जब भेजो पवन को

साफ कह देना इसे

छोड़कर सारी झिझक

सब कुछ बता देना मुझे।


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