खुदा तेरा फ़ैसला!
खुदा तेरा फ़ैसला!
ऐ ख़ुदा इस दर्द के बदले राहत तो दे
दे न सका राहत, मौत तो दे।
ज़िंदगी की देन भी तेरी।
मौत का पैग़ाम भी तेरा।
ख़ुशी के एक-एक पल का,
एहसान भी तेरा।
ग़म के हर एक पल का,
अरमान भी तेरा।
फिर कैसा डर,
जो न बदलता मेरा मुक़द्दर।
ख़ुद का लिखा ख़ुद क्यों न पढ़ता।
ज़िंदगी में मेरी, मुस्कुराहट, क्यों न भरता।