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Geeta Upadhyay

Others

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Geeta Upadhyay

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खट्टी-मीठी यादें

खट्टी-मीठी यादें

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वो नन्हा सा

बचपन भुलाए नहीं भूलता

वो सखियों का

बांकपन

नटखट चंचल शैतान बातूनी

यही तो कहा करती थी हमारी नानी

हम जो कहते थे चाहे सही हो या गलत

सबको भरनी पड़ती थी हामी

 वरना हमारी नाराजगी का डर

 सच कट्टी हो जाती थी सबसे

 मनाने पर भी ना मानते थे तब

 हमारी एक मुस्कुराहट को तरसते थे सब

वो इतराना मुंह बिचकाना

नन्ही सी कमरिया को मटकाना

मम्मी का प्यार से थपथपाना

पापा का हौले से मुस्कुराना

मनाते मनाते एक बार फिर से हमारा गुस्सा हो जाना

भाइयों का हमें चिढ़ाना फिर पास बुलाना

आज टटोलते फिर रहे हैं हम

जिंदगी के उन खूबसूरत कोनों को

वक्त बदला मौसम बदलते रहे

जिंदगी तेरी राहों के हर मोड़ पर

कभी फूल तो कभी कांटे चुभते रहे

याद करके उन

लम्हों को

धुंधली सी हो जाती है जिंदगी के

हर दौर की बातें सिसकियां रुकती नहीं

 और तेज हो जाती है सांसे

तब लौटने को छटपटाते हैं कदम

 छलक पड़ती है आंखें भूल जाते हैं सब

 याद आती है तो बस बचपन की कुछ

"खट्टी- मीठी यादें "




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