खसारा (नुकसान)
खसारा (नुकसान)
हमारे खसारे से तुम्हें क्या लेना- देना,
तुम्हें तो अपने आप से मतलब है।
हमारा चाहे जो हो जाये खसारा,
तुम्हें अपनी महफिल उजड़ने का डर है।
मोहब्बत है हमसे, तुम कबूल करना नहीं चाहते,
करते अपना ही खसारा दुनिया का खौफ है।
करती हैं बेचैन तुम्हें भी ये शामें,
हमारी ख्वाहिश जीने नहीं देती।
समझते नहीं तुम या समझना नहीं चाहते,
तुम्हें दिल की आवाज़ आने का डर है।
एक बार देखो शीशे में खुद को,
तुम झूठ बोल रहे हो अपने आप से।
कब तक बचोगे हमारे इश्क से,
तुम्हें महफिल में रहकर तनहाइयों का डर है।