ख़ुशियों की बधाई
ख़ुशियों की बधाई
जिस आंगन रोज़ मिलती
ख़ुशीयों की बधाई
उस आंगन सुरज़ भी
रोज़ भर देता अच्छाई
बालकनी को देखो
चाहे बरामदा को देखो
उमंग के उजाले से वहीं
जो चाहो सो जा मिलो
टेबल मेज बर्तन कुर्सी और किताब
सब के सब मुहब्बत में मुस्काता हैं !
हर एक चेहरे पे संपूर्ण ख़ुशी
उस परिवार का पहला परिधान हैं !
इतनी ख़ुशी कहां से आता हैं,
पड़ोसी भी पुख्ता होता हैं,
गम भी कुछ कमा लेता हैं
ख़ुद को ख़ुशी की हवा देता हैं !
इधर मत देखो, उधर मत देखो
जो चाहो सो यहां आ सीखो
उन्नति यहां उधार मिलता हैं
मुहब्बत यहां मस्त हाल मिलता हैं !