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AJAY AMITABH SUMAN

Tragedy

3  

AJAY AMITABH SUMAN

Tragedy

खबर हादसे की

खबर हादसे की

2 mins
124



खबर का मुख्य उद्देश्य समाज में विश्वास , आस्था और भाईचारे की नींव को मजबूत करना होता है ना रोष , नफरत और दहशत की अग्नि को फैलाना । परंतु क्या वर्तमान समय में पत्रकारिता के संदर्भ यही बात कही जा सकती है ? यदि कोई हादसा , घटना या दुर्घटना समाज के बड़े तबके में सनसनी पैदा करने में सक्षम नहीं है तब भी क्या वो आजकल अखबार में छप जाने के काबिल हो सकती है? पत्रकारिता का ध्येय येन केन प्रकारेण स्वयं के उत्थान के लिए चटपटी खबरें बनाना और फैलाना नहीं अपितु राष्ट्र के हित में कटु सत्य को सामने लाना है होता है जो कि वर्तमान समय में लगभग लुप्तप्राय हीं है। नकारात्मक पत्रकारिता पर व्ययंगात्मक रूप से चोट पहुंचाती हुई प्रस्तुत है मेरी कविता "खबर हादसे की"।


ना माथे पर शिकन कोई,

ना रूह में कोई भय है,

ना दहशत हीं फैली ,

ना हिंसा परलय है

हादसा हुआ तो है,

लहू भी बहा मगर,

खबर भी बन जाए,

अभी ना तय है,

माहौल भी नरम है,

अफवाह ना गरम है,

आवाम में अमन है, 

कोई रोष ना भरम है,

बिखरा नहीं चमन है , 

अभी आंख तो नरम है

थोड़ी बात तो बढ़ जाए,

थोड़ी आग तो लग जाए,

रहने दो खबर बाकी,

रहने दो असर बाकी, 

लोहा जो कुछ गरम हो,

असर तभी चरम हो,

ठहरो कि कुछ पतन हो ,

कुछ राख में वतन हो, 

अभी खाक क्या मिलेगा,

खबर में कुछ भी दम हो,

अखबार में आ जाए,

अभी ना समय है,

सही ना समय है,

सही ना समय है।


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