ख़ास रिश्ता है ये
ख़ास रिश्ता है ये
ख़ास रिश्ता है ये शायद किसी जन्म का
तभी तो एक दूजे से दूर होकर भी हम साथ हो लिए।
तोड़कर गलतफहमी की हर दीवार को
थामें एक दूजे का हाथ, हम इश्क़ की राह चल दिए।
शक की सिलवटें पड़ीं कई बार हमारे रिश्ते पर
पर हम तो मोहब्बत के परिंदे, ऊंँची उड़ान भर उड़ चले।
बेइंतेहा मोहब्बत, फिर भी हो गए थे अजनबी से
कैसे कहें, आपकी नजरों से यूँ दूर होकर कैसे दिन कटे।
दूर थे ज़रूर पर विश्वास के धागे से बंँधे थे हम
इसी विश्वास के हौसले से फिर एक राह के राही हो गए।
नसीब में लिखा जो साथ तो कैसे होते हम जुदा
जुड़े हैं दिल के तार हमारे तभी तो आप हमसफ़र हो गए।
यकीं तो था इस दिल को पर जुबां ख़ामोश थी
पर देखो इस खामोशी में भी कैसे लफ्ज़ हमारे एक हो गए।
किस्मत कहो हमारी या मोहब्बत की ताकत ये
मोहब्बत के चिराग खुद ब खुद हमारे दिलों में रोशन हो गए।