कहानी
कहानी
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मेरी जिंदगी की यही एक कहानी है।
घर में बची थोड़ी जमीन बाकी बाहर सब पानी है।
कागज की कश्ती है ये जिंदगी, जो उस पार लगानी है।
लगी है जो सीने में आग इन हवाओं से बुझानी है।
घर में बची थोड़ी जमीन बाकी बाहर सब पानी है।
नाराज नहीं मै जो हुई ख्वाहिशें राख मेरी
उन्ही से तो ये खामोश रात सजानी है।
घर में बची थोड़ी जमीन बाकि बाहर सब पानी है।
मेरी जिंदगी की यही एक कहानी है।