कहाँ गए भारतीय
कहाँ गए भारतीय
राह चलते उस दिन मिले थे, एक सज्जन।
पूछा, कौन है भाई ,आप?
तो अकड़कर बोले, मैं ब्राह्मण हूँ ,
चोटी और जनेउ नहीं दिख रहे हैं क्या आपको?
हमारे पूजा-पाठ के बदौलत ही अबतक यह देश टिका हुआ है!
फिर,मिले कुछ क्षत्रिय, ठाकुर और वैश्य भाई,
तत्पश्चात्, कुछ अनुसूचित जाति के लोग,
उसके बाद जनजाति, उपजाति, ओबीसी, और जाने क्या क्या-----
कोई ईश्वर या अल्लाह को पूजता था ,
तो कोई अपने जीसस या वाहे गुरु का गुण गाता था।
हाॅ, कास्ट के नाम पर और भी मिले कई लोग,
जो अपने को पंजाबी, मारवाड़ी, सिंधी,
गुजराती,मराठी आदि बताते थे।
फिर मिले दो अहम् वर्ग के लोग--- अमीर और गरीब,
अपनी -अपनी हैसियत के अनुसार!
पर,
वह न मिला एक भी कोई,
जिसे मैं ढूंढ रही थी बड़ी देर से---
गायब हो गए थे सब मानो हिन्दुस्तान से रातो-रात,
पर आश्चर्य!!
किसी को न हुई इसकी कोई खबर ,कानो-कान!
बेखबर व्यस्त थे जब सभी अपने जाति, धर्म, कास्ट के हिसाब जोड़ने में
सारे भारतीय उस समय शरणार्थी बन रहे थे विदेशों में!
फैल चुके हैं वे आज दुनिया के हर कोने में।
(क्योंकि विदेशों में ही मिलता है यह जाति आजकल,
जहाॅ लोग गर्व से कहते हैं," हम 'भारतीय' हैं।")
तो क्या हुआ जो भारत से हो गए हैं ''भारतीय" नदारद?
सोच रही हूँ कि यदि आज भारतेन्दु होते तो क्या लिखते?
आवहु सब मिलकर रोवै भाई,
हा हा भारत दुर्दशा न देखी जाए!
भारत में न बचा एक भी भारतीय भाई।।