Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Neerja Sharma

Others

4  

Neerja Sharma

Others

खामोशी

खामोशी

1 min
368



मेरी खामोशी 

अनगिनत भाव समेटे 

दिल की अलमारी में सहेजे,

जब भी खोलती हूँ 

दिल की अलमारी 

बस हर बार वही

केवल वही पत्र

नज़रों के सामने

आ जाता है

बिना सम्बोधन

लिखा पत्र।

एक-एक शब्द

मानो दिल में

बस से गए हैं

बिना पेज पलटे

बंद आँखों से

पढ़ जाती हर बार।

 खामोश निगाहे

खामोश साँसे 

धीरे से मन के

कोने में दबा

आँसू पौंछ

बंद कर देती हूँ

दिल का दरवाजा

सहेज लेती हूँ

उस पत्र को

जो लिखा

मगर डाला नहीं....

टपकते आँसू 

गहराती खामोशी

मैं और मेरा दिल

अक्सर यूँ ही बाते करते।


Rate this content
Log in