कभी सोचते हैं
कभी सोचते हैं
कभी कभी सोचते हैं
कितना अच्छा होता
रोज़ खेलते हम होली
रोज़ मनाते दीवाली।
कभी कभी सोचते हैं
रोज़ अगर छुट्टी होती
दिन भर रहते खाली
रात मनाते दीवाली।
कभी कभी सोचते हैं
सारे घर में सोए रहते
रस्ते हो जाते खाली
ख़ूब मनाते दीवाली।